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जानें सबसॉइलर (Subsoiler) कृषि मशीन की बेहतरीन विशेषताओं के बारे में

जानें सबसॉइलर (Subsoiler) कृषि मशीन की बेहतरीन विशेषताओं के बारे में

सबसॉइलर कृषि मशीन खेत के अंदर गहरी जुताई करने के लिए बेहद ही ज्यादा उपयोगी मशीन होती है। इस मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर संचालित किया जाता है। 

सबसॉइलर से खेत की जुताई करने के उपरांत फसल में रोग लगने की आशंका बेहद ही कम हो जाती है। यहां पर जानें इस कृषि मशीन की बाकी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में। 

खेती-किसानी के कार्यों को सुगमता से पूर्ण करने के लिए बाजार में विभिन्न प्रकार के शानदार कृषि उपकरण उपलब्ध हैं। इन्हीं कृषि मशीनों में एक सबसॉइलर कृषि यंत्र भी शम्मिलित है, जो कि कम परिश्रम में खेतों की गहरी जुताई करने में सक्षम है। 

इस उपकरण को संचालित करने के लिए आपको ट्रैक्टर की जरूरत पड़ेगी। दरअसल, सबसॉइलर कृषि मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर खेत में संचालित किया जाता है। 

बतादें, कि इस सबसॉइलर कृषि मशीन को खेत में फसल बिजाई से पूर्व ही तैयार करने के लिए चलाया जाता है। यह मशीन खेत के अंदर गहरी जुताई करने के लिए बेहद उपयोगी साबित होती है।

इस मशीन के माध्यम से की गई जुताई के उपरांत किसानों की फसल में रोग लगने की आशंका कम होती है। खेत की जुताई का कार्य शीघ्रता से किया जा सके, इसको मंदेनजर रखते हुए सबसॉइलर कृषि मशीन को तैयार किया गया है।

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सबसॉइलर कृषि मशीन

यह कृषि उपकरण ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलने वाली मशीन है, जो खेत में कम समय में ही गहरी जुताई करने में सक्षम है। 

इसे मिट्टी को तोड़ना, मिट्टी को ढीला करना और गहरी अच्छी जुताई करने के लिए सबसॉइलर कृषि मशीन बेहद लोकप्रिय है। 

यह मशीन मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हैरो या रोटरी टिलर मशीन के मुकाबले काफी अच्छे से खेत की जुताई करती है. इसके अलावा, सबसॉइलर कृषि मशीन खेत की मिट्टी को अच्छी उर्वरता शक्ति प्रदान करने में भी मदद करती है. इस मशीन से खेत की जुताई करने के बाद किसानों को फसल की अच्छी उपज प्राप्त होती है।

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सबसॉइलर कृषि मशीन का उपयोग

  • किसान भाई इस मशीन का अधिकतर उपयोग खेत की जुताई करने के लिए करते हैं।
  • इस मशीन का इस्तेमाल खेत में पानी को रोकने के लिए भी किया जाता है।
  • सबसॉइलर मशीन खेत की खराब स्थिति को सुधारने के लिए भी खेत में चलाई जाती है।
  • सबसॉइलर कृषि मशीन से क्या क्या फायदे होते हैं
  • सबसॉइलर कृषि मशीन को खेत में चलाने के पश्चात फसल में कीट और रोग लगने की आशंका काफी कम हो जाती है।
  • सबसॉइलर मशीन के उपयोग से खेत की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।
  • देश के जिन हिस्सों में जल के अभाव की वजह खेत की सिंचाई नहीं की जाती उन इलाकों के लिए यह बेहद उपयोगी कृषि यंत्र है।
  • इस मशीन के इस्तेमाल से किसान कम से कम ढाई फीट तक गहरी नाली बना सकते हैं।
  • सबसॉइलर कृषि मशीन किसानों पर पड़ने वाले मजदूरों के भार को कम करती है।

खेत की गहरी जुताई के लिए करें सबसॉइलर (Subsoiler) का उपयोग, मिलेगी 80% सब्सीडी

खेत की गहरी जुताई के लिए करें सबसॉइलर (Subsoiler) का उपयोग, मिलेगी 80% सब्सीडी

किसानों द्वारा गर्मियों में की जाने वाली खेती के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चहिये।  खेत की गहरी जुताई करने से फसल में कीट और रोग लगने की ज्यादातर सम्भावनाये ख़तम हो जाती है। 

इसके अलावा केट की गहरी जुताई और अधिक उत्पादन के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को सबसॉइलर (Subsoiler Machine) मशीन पर सब्सीडी उपलब्ध कराई जा रही है। 

यह सबसॉइलर मशीन खरपतवारों को नष्ट करके उन्हें जमीन में मिला देती है इससे फसल उत्पादन में काफी वृद्धि होती है। 

जो भी किसान सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर सब्सीडी प्राप्त करना चाहता है वो कृषि विभाग योजना के तहत आवेदन कर सकता है।

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कृषि यंत्र अनुदान योजना और कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत किसानों को सबसॉइलर मशीन पर सब्सीडी प्रदान की जा रही है। 

क्या है सबसॉइलर (Subsoiler) मशीन ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसानों के लिए एक बेहद ख़ास मशीन है , यह मशीन खेत की जुताई के लिए काफी सहायक होती है।  

ये मशीन खेत में उपस्थित खरपतवार को नष्ट करके उसे मिट्टी में ही मिला देती है जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है। 

यह मशीन ट्रैक्टर में जोड़कर चलाई जाती है। सबसॉइलर मशीन अन्य मशीनों की तुलना में जैसे : मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हैरो और रोटरी टिलर के मुकाबले अधिक गहराई तक जुताई करती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसानों के लिए काफी सहायक और लाभदायक मशीन है। यह मशीन खेत में पानी रोकने के लिए भी काम आती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर कितनी सब्सीडी प्रदान की जाएगी ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर किसानों को राज्य सरकार की ओर से 80% सब्सीडी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत सामान्य किसानों को सबसॉइलर मशीन पर 70% सब्सीडी प्रदान की जा रही है यही पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आने वाले किसानों को 80% सब्सीडी प्रदान की जाएगी। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की क्या है कीमत ?

बाजार में सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) कई ब्रांड में उपलब्ध है। लेकिन जो ब्रांड प्रचलित है वो है जॉन डियर (John Deere), महिंद्रा (Mahindra), मास्कीओ गास्पार्दो (maskio gaspardo), यूनिवर्सल (Universal), फील्डकिंग (Fieldking), लेमकेन (Lemken) और केएस एग्रोटेक (KS Agrotech) इन सभी कंपनियों की सबसॉइलर मशीन बाजार में काफी प्रचलित है।

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भारत में सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की कीमत 12600 से शुरू होकर 1.80 रुपए तक है। लेकिन किसान सब्सीडी के अंदर केवल उन्ही मशीन को खरीद सकता है जो राज्य सरकार द्वारा सब्सीडी के अंदर अधिकृत की गई है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की खरीद से क्या लाभ होगा ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की खरीद से किसान बहुत से लाभ उठा सकते है। यह मशीन कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए भी काफी उपयोगी है। सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के उपयोग से खेती को और अधिक उपजाऊ और बेहतर बनाया जा सकता है। 

यह सबसॉइलर मशीन किसान के समय की भी बचत करता है। सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसान की कृषि सम्बन्धी किर्याओं की दशा में सुधार करता है। 

अच्छे जल निकास के लिए खेत में यह मशीन नालियां बनाने के लिए भी काफी उपयोगी है। गहरी जुताई करके यह मशीन कीटों की समस्या को भी काफी हद तक कम करने में सहायक होती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के लिए कैसे आवेदन करें ?

कृषि यंत्रीकरण योजना मे आवेदन करके सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर सब्सीडी प्राप्त कर सकते है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आप योजना की आधारिक  वेबसाइट  (www.farmech.bih.nic.in) पर जाकर ऑनलाइन इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है। 

सबसे पहले डीबीटी पोर्टल पर जाकर आवेदन करें उसके बाद ही आप इस योजना की आधारिक वेबसाइट पर जाकर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते है। 

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डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन नंबर OFMAS  पर आवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा। इस योजना की अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के निदेशक या जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के लिए आवेदन करने हेतु जरूरी दस्तावेज 

  1. आधार कार्ड 
  2. पैन कार्ड 
  3. जमीन के जरूरी कागजात 
  4. बैंक की पासबुक 
  5. मोबाइल नंबर 
  6. आय प्रमाण पत्र 
  7. निवास प्रमाण पत्र 

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रोबोटिक्स मिश्रित जायंट फार्म इक्विपमेंट मशीनरी (Giant Farm Equipment Machinery), यानी विशाल कृषि उपकरण मशीनरी की तेज चाल दौड़ में परंपरागत किसानी की विरासत, गाय-बैल-किसान की पहचान धुंधली पड़ती जा रही है। हालांकि कुछ भूमिपुत्र ऐसे भी हैं, जो बैलों की जोड़ियों के गले में बंधी घंटी की खनक के साथ, खेतों में कछुआ गति से कदम ताल करते यदा-कदा नजर आ ही जाते हैं। जी हां, भारत से इंडिया में तब्दील होते आधुनिक देश में पारंपरिक किसानी के तरीकों में तेजी से बदलाव हुआ है। काम में मददगार कृषि प्रौद्योगिकी उपकरणों की उपलब्धता के कारण मौसम आधारित खेती, अवसर आधारित हो गई है। लेकिन देश के कई हलधर ऐसे भी हैं जिन्होंने पारंपरिक खेती की असल पहचान, हलधर किसान की छवि को बरकरार रखा है।

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भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण हालांकि कहना गलत नहीं होगा कि, दो बैलों और हल के साथ खेतों की जुताई करते किसान की परंपरा अब शायद अपने अंतिम दौर में है। ट्रैक्टर, मशीनों से किसानी की नई पीढ़ी अब बैल-हल से खेती में रुचि नहीं लेती। मेरे देश की धरती सोना-हीरा-मोती उगले गीत सुनकर यदि कोई अक्स उभरता है, तो वह है हरे-भरे खेत में बैलों की जोड़ी, हल के साथ खेत जोतता किसान। यह वास्तविकता अब सपना बनती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के ठेठ ग्रामीण इलाकों में ही, आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को ही इस पहचान के साथ खेत में काम करते देखा जा सकता है। इन किसानों को देखकर पता लगाया जा सकता है, कि किस तरह हमारे पूर्वज अन्नदाता किसानों ने हल और बैलों की मदद से, अथक परिश्रम कर देश का पेट, मिट्टी में से अनमोल अनाज उगा कर भरा।

खेत जोतने से लेकर कटाई, सप्लाई सब मशीनी

आज के मशीनी दौर में किसानी के उपयोग में आने वाले मददगार उपकरणों की सुलभता ने भी पारंपरिक किसानी को पीछे किया है। बैलों की शक्ति के मुकाबले कई अश्वों की ताकत से लैस, कई हॉर्सपॉवर का शक्तिशाली ट्रैक्टर चंद घंटे में कई एकड़ जमीन जोत सकता है। दैत्याकार मशीनें अब कटाई-मड़ाई भी पल भर में करने में मददगार हैं। प्रतिकूल मौसम में भी मददगार मशीनी मदद से समय और श्रम की भी बचत होती है। कल्टीवेटर, रोटावेटर, हैरो जैसे तकनीक आधारित हल मिट्टी की जुताई बेहतर तरीके से कर देते हैं। [embed]https://youtu.be/AjPz41c7pls[/embed]

लेकिन हां….बड़े धोखे हैं इस राह में...

सनद रहे तकनीक आधारित काम में प्राकृतिक नुकसान की भी संभावना बढ़ जाती है। पर्यावरण सुरक्षा की दशा में चौकन्ने होते देशों को सोचना होगा कि, इन मशीनों से खेत पर काम करने से मिट्टी की गुणवत्ता में वह सुधार संभव नहीं जो पारंपरिक तरीके की किसानी में निहित है।

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धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी मशीनों आधारित अधिक गहरी खुदाई से जमीन और खेत की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जीव-जंतुओं को नुकसान होता है। जबकि खेत में बैलों, जानवरों के उपयोग से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। कहना गलत नहीं होगा कि, तकनीक आधारित ट्रेक्टर के धुएं ने हल-बैल और किसान की परंपरा का गुड़-गोबर कर अतीत की स्मृति को धुंधला दिया है।

छोटी जोत के किसान

छोटी जोत के गैर साधन संपन्न किसानों को हल और बैल आधारित किसानी करते देखा जा सकता है। इसके भी कई गूढ़ कारण हैं।

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पुरानी टेक्नीक

हल-बैल वाली युक्ति में लकड़ी का बना एक जुआ होता है। इसमें बने दो बड़े खानों को बैलों की डील पर पहनाया जाता है। इससे दोनों बैल एक समानांतर दूरी पर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद लकड़ी अथवा लोहे की छड़ से लोहे का एक हल जुड़ा होता है। इस हल का जमीन को फाड़ कर उसे पलटने  वाला नुकीला भाग नीचे की ओर होता है। इसे संभाल कर दिशा देने के लिए ऊपर की तरह एक मुठिया बनी होती है, जिसे किसान हाथों से नियंत्रित कर सकता है। बाई ओर चलने वाले बैल से बंधी रस्सी जिसे नाथ बोलते हैं को किसान अपने एक हाथ में पकड़ कर रखता है। इस नाथ से बैलों की दिशा परिवर्तन में मदद मिलती है। खेतों में हल के माध्यम से होने वाली जुताई को  हराई बोलते हैं। पारंपरिक खेती के अनुभवी किसानों के अनुसार छोटी जोत में ट्रैक्टर के माध्यम से जुताई असंभव हो जाती है। जबकि हल-बैल के माध्यम से खेत की अधिक-से अधिक भूमि उपजाऊ बनाई जा सकती है। हालांकि मेकर्स ने छोटी जोत में मददगार मिनी ट्रेक्टरों का दावा भी कर दिया है।